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कपालभाती प्राणायाम - Health Information - Storykunj


कपालभाति प्राणायाम एक ऐसा आसन है जिसमे सभी योगासनों का फायदा मिलता है।  यह केवल एक प्राणायाम ही नही, बल्कि एक शुद्धी क्रिया भी है। इसीलिए कपालभाती को बीमारी दूर करने वाले प्राणायाम के रूप में देखा जाता है। आइए जानतें हैं इस प्राणायाम के बारे में...

 कपालभाती करने वाला साधक आत्मनिर्भर और स्वयंपूर्ण हो जाता है।

 डॉक्टर कहते हैं कि कपालभाती से हार्ट के ब्लॉकेजेस् पहिले ही दिन से खुलने लगते हैं और कुछ दिन में बिना किसी दवाई के वे पूरी तरह खुल जाते है।

कपालभाती करने वालों के हृदय की कार्यक्षमता बढ़ती है, जबकि हृदय की कार्यक्षमता बढ़ाने वाली कोई भी दवा उपलब्ध नही है। कपालभाती करने वालों का हृदय कभी भी अचानक काम करना बंद नही करता, जबकि आजकल बड़ी संख्या में लोग अचानक हृदय बंद होने से मर जाते हैं।

कपालभाती करने से  शरीरांतर्गत और शरीर के ऊपर की किसी भी तरह की गाँठ गल जाती है, क्योंकि कपालभाती से शरीर में जबर्दस्त उर्जा निर्माण होती है, जो गाँठ को गला देती है, फिर वह गाँठ चाहे ब्रेस्ट की हो अथवा अन्य कही की। ब्रेन ट्यूमर हो अथवा ओव्हरी की सिस्ट हो या यूटेरस के अंदर फाइब्रॉईड हो, क्योंकि सबके नाम भले ही अलग हो, लेकिन गाँठ बनने की प्रक्रिया एक ही होती है।

  खास बात यह है कि कपालभाती करने से बढा हुआ कोलेस्टेरोल कम होता है। बढा हुआ इएसआर, युरिक एसिड, एसजीओ, एसजीपीटी, क्रिएटिनाईन, टीएसएच, हार्मोन्स, प्रोलेक्टीन आदि भी सामान्य स्तर पर आ जाते है।

कपालभाती करने से हिमोग्लोबिन एक महिने में 12 तक पहुँच जाता है, जबकि हिमोग्लोबिन की एलोपॅथीक गोलियाँ खाकर कभी भी किसी का हिमोग्लोबिन इतना बढ़ नही पाता है। कपालभाती से हीमोग्लोबिन एक वर्ष में 16 से 18 तक हो जाता है। महिलाओं में हिमोग्लोबिन 16 और पुरुषों में 18 होना उत्तम माना जाता है।

कपालभाती से महिलाओं के मासिक धर्म की सभी शिकायतें एक महिने में सामान्य हो जाती है। थायरॉईड की बीमारी में भी कपालभाती से सकारात्मक लाभ होता है

इतना ही नही, बल्कि कपालभाती करने वाला साधक ५ मिनिट में मन के परे पहुँच जाता है। गुड़ हार्मोन्स का सीक्रेशन होने लगता है। स्ट्रेस हार्मोन्स गायब हो जाते है। मानसिक व शारीरिक थकान नष्ट हो जाती है। इससे मन की एकाग्रता भी आती है।

 इसके अलावा कपालभाति के कई विशेष लाभ भी हैं।

कपालभाती से खून में प्लेटलेट्स बढ़ते हैं। व्हाइट ब्लड सेल्स या रेड ब्लड सेल्स यदि कम या अधिक हुए हो, तो वे निर्धारित मात्रा में आकर संतुलित हो जाते हैं। कपालभाती से सभी कुछ संतुलित हो जाता है। ना तो कोई अंडरवेट रहता है, ना ही कोई ओव्हरवेट रहता है। अंडरवेट या ओव्हरवेट होना, दोनों ही बीमारियाँ है।

कपालभाती से कोलायटीस, अल्सरीटिव्ह कोलायटीस, अपच, मंदाग्नी, संग्रहणी, जीर्ण संग्रहणी, आँव जैसी बीमारियाँ ठीक होती है। काँस्टीपेशन, गैसेस, एसिडिटी भी ठीक हो जाती है। पेट की समस्त बीमारियाँ ठीक हो जाती है।

कपालभाती से सफेद दाग, सोरायसिस, एक्झिमा जैसे अनेक त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं अधिकतर त्वचा रोग पेट की खराबी से होते है। जैसे जैसे पेट ठीक होता है, ये रोग भी ठीक होने लगते हैं।

कपालभाती से छोटी आँत को शक्ति प्राप्त होती है, जिससे पाचन क्रिया सुधर जाती है। और जब हमारा पाचन ठीक रहने लगता है तो शरीर को कैल्शियम, मैग्नेशियम, फॉस्फरस, प्रोटीन्स इत्यादि उपलब्ध होने से कुशन्स, लिगैमेंट्स, हड्डियाँ ठीक होने लगती हैं और 3 से 9 महिनों में अर्थ्राइटीस, एस्ट्रो अर्थ्राइटीस, एस्ट्रो पोरोसिस जैसे हड्डियों के रोग भी जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।



ध्यान रखिये की कैल्शियम, प्रोटीन्स, हिमोग्लोबिन, व्हिटैमिन्स आदि को शरीर बिना पचाए, बाहर निकाल देता है, क्योंकि केमिकल्स से बनाई हुई इस प्रकार की औषधियों को शरीर द्वारा सोखे जाने की प्रक्रिया हमारे शरीर के प्रकृति में ही नही है।

हमारे शरीर में रोज 10 % बोनमास चेंज होता रहता है। यह प्रक्रिया जन्म से मृत्यु तक निरंतर चलती रहती है। अगर किसी कारणवश यह बंद हुई, तो हड्डियों के विकार हो जाते हैं। कपालभाती इस प्रक्रिया को निरंतर चालू रखती है। इसीलिए कपालभाती नियमित रूप से करना आवश्यक है।

 यह सिर्फ एक क्रिया कितनी लाभकारी है। इसीलिए नियमित रूप से कपालभाति करना एक अच्छी व्यायाम प्रक्रिया है।

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