गरीब का लाॅकडाऊन - Short Story In Hindi - Storykunj
गरीबी को बचपन में झेलने वाला सौरभ लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान दाने-दाने को मोहताज हो रहे गरीब परिवारों के लिए मसीहा बनकर सामने आया।
उसने अपने कुछ साथियों की मदद से शहर में सबसे कमजोर आर्थिक स्थिति वाले वैसे परिवार, जिनके घरों में कुछ दिनों से चूल्हे नहीं जले थे, उन्हें राशन के पैकेट देकर मदद पहुंचाने का निर्णय लिया।
सेवाभाव के साथ गरीब परिवारों के बीच खाद्यान्न का वितरण करने के बाद सौरभ और उसके साथी अत्यंत खुश थे। तभी सौरभ के फोन पर एक कॉल आई।
हॅलो... कौन बोल रहा है
जी मै.... दीपू बोल रहा हूँ..... एक छोटे से होटल में बर्तन साफ करने का काम करता हूं। अभी लॉकडाउन में स्थिति ऐसी हो गई है कि होटल बंद है और घर से बाहर निकलने पर भी मनाही है।
हां.... कहिए
साहब जी... आप गरीब बस्ती में राशन दान कर रहे हैं। मुझे भी राशन की सख्त जरूरत है। साहब..... अगर एक राशन का पैकेट दे दें तो आपकी बड़ी मेहरबानी होगी।
तुम्हें कल दे देंगे आज तो राशन के सभी पैकेट बट चुके हैं...... सौरभ ने जवाब दिया
साहब, मेहरबानी करके थोड़ा सा आटा चावल दीजिए... घर में छोटे बच्चे हैं पत्नी है... साहब दया कीजिए....... घर में मौजूद थोड़े से अनाज और पैसों से 11 दिनों तक किसी तरह काम चल गया। लेकिन अब संकट शुरू हो गया...... कुछ नही... बस थोडे चावल ही मिल जाते .. बच्चों के लिये...कहते कहते वो फफक कर रो पडा।
उसकी बाते सुनते ही सौरभ बोला ठीक है तुम्हारे वास्ते भी करते हैं कुछ इंतजाम...आ जाओ...
अरे, अब किसको बुलाया ?.. .. सौरभ के दोस्त ने पुछा
एक भाई को राशन की बहुत जरूरत है...
पर यार सौरभ राशन का पैकेट तो नहीं है अपने पास...क्या दोगे.....कल ही बुलाते
नहीं मेरे दोस्त.. तुम सब यही रूको मैं अभी आता हूं ... इतना कहकर वह बाइक स्टार्ट कर अपने घर की तरफ चला गया।
थोड़ी देर के बाद सौरभ राशन लेकर लौटा। और अपने साथियों से पूछने लगा....
आया क्या वो आदमी?
नहीं अभी तक नहीं आया... एक बार फोन लगा कर पूछ लेते हैं....
हेलो... हां दीपू भाई... आये नहीं अभी तक
जी साहब.... बस... बस.... पहुंच ही रहा हूं...
अरे यार... इतनी तेज धूप में गर्मी के मारे बुरा हाल हो रहा है और कितना टाइम लगेगा उसे आने में.... एक दोस्त ने चेहरे से पसीना पोछते हुए कहा।
ओये... हम दान करने निकले है कोई मौज-मस्ती करने नहीं... दूसरा साथी बोला।
साहब....... आवाज की तरफ सबकी नजर गयी।
पसीने से तरबतर एक आदमी ने (काफी खराब हालत में हो चुकी) सायकल से उतरकर हाँफते हुए उनसे पुछा साहब ! आप गरीबों को राशन की किट बाँटते हो क्या?
हाँ.....
मैं दीपू..... साहब... एक घंटा पहले आपको...फोन...किया...था.. राशन के लिए ।
हां हां हम लोग आप ही का इंतजार कर रहे थे..... कह कर सौरभ ने उसे पीने के लिए पानी की बोतल दी।
आप कहाँ से आये...
मै नानक प्याऊ के पास वाली गली से..... वहां मैं एक छोटा टीन शेड कमरा किराए पर लेकर रहता हूं।
क्या.... नानक प्याऊ से..... ओहो.... वह तो यहां से तो कई किलोमीटर दूर है । सभी हैरानी से एक दूसरे की तरफ देखने लगे।
सासू मां का क्वारंटाइन - Family Story In Hindi - Storykunj
शायद गरमी की तपिश से कही ज्यादा बडी भुख की आग है इसलिये मई की झुलसाती गरमी में यह आदमी साइकिल चलाते आया था।
आप दो मिनट यहाँ बैठिए। मैं अभी आता हूं। कहकर सौरभ जाने लगा तो एक साथी भी उसके साथ हो लिया।
यार तू अभी कहाँ जा रहा है?
सौरभ ने अपनी बाइक स्टार्ट की और दोनों दोस्त एक दुकान पर पहुंचे। वहाँ से नमकीन, बिस्कीट, दुध ,ब्रेड , चीनी, चाय पत्ती, चना, तेल, एक बाॅक्स मे पैक करवाए और वापस दीपू के पास पहुंचे।
पहले की किट का सामान भी बक्से में भर दिया फिर सामान के बॉक्स को सायकल के पीछे अच्छे से रखकर बांध दिया। फिर जेब से पर्स निकाल कर कुछ रुपए भी दिए।
आप राशन और ये कुछ रूपये रख लिजिये... काम आएंगे... मदद पाकर वो आदमी उनके पैरों पे झुक गया।
नही नहीं ..... प्लीज... सौरभ ने उस आदमी को उठाकर खडा किया।
साहब सचमुच आप गरीबों के मसीहा हैं।
साहब नहीं.... अपना ही भाई समझो। हम सब को भोजन देने वाला तो भगवान है।
भैया भले ही मैं ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं हूं। परंतु आज तक मैं अपनी मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पेट भरता आया हूं। आज तक मैंने कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाएं। पर इस लॉकडाउन में काम छूट गया और बहुत बुरा हाल हो गया। गांव से शहर की तरफ आए थे यह सोच कर कि कुछ कमाएंगे। कहते-कहते उसकी आंखें भर आई और मदद के लिए दिल से धन्यवाद देने लगा।
धीरज रखो दीपू भाई ये दिन भी चले जाएंगे और फिर से अच्छे दिन आएंगे।
चलता हूं भैया कह कर उसने हाथ जोडे और भरी आँखो से साइकिल पर बैठकर चला गया।
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nice story
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