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सकारात्मक सोच - Motivational Story In Hindi - Storykunj


हमारे शरीर में 90% बीमारी का मूल कारण नकारात्मक विचार ऊर्जा का उत्पन्न होना है।  शरीर में विभिन्न प्रकार के HORMONES पैदा होते हैं। 
 हमारी नकारात्मक सोच-विचार की प्रवृति  डिप्रेशन को बढ़ाएगी। डर इम्यूनिटी लेबल को कम कर देता है। और वायरस से लड़ने की क्षमता को कम करता है।  दूसरी ओर सकारात्मक सोच आपको शरीर और मानसिक रूप से मजबूत बनाकर किसी भी स्तिथि या बीमारी से लड़ने में सक्षम बनाती है।

अमेरिका मे एक कैदी को जब फाँसी की सजा सुनाई गई। तब वहाँ के कुछ वैज्ञानिकों ने विचार किया कि इस कैदी पर एक प्रयोग किया जाये।  तब उस कैदी को बताया गया कि उसे फाँसी की बजाय विषधर कोब्रा से डसवा कर मारा जाएगा।फाँसी वाले दिन उसके सामने एक बड़ा विषधर साँप लाया गया तथा कैदी की आँखो पर पट्टी बाँध कर कुर्सी पर बैठा कर बाँध दिया गया। इसके बाद उसे साँप से ना डसवा कर केवल सेफ्टी पिन चुभाई गई ।
आश्चर्य की बात यह हुई कि कैदी की दो सेकंड में ही मौत हो गई।

  पोस्टमार्टम की रिपोर्ट मे भी कैदी के शरीर में विष मिला। जबकि उसको विषधर कोबरा से डसवाया ही नहीं गया। जरा सोचिए कैदी के शरीर में ये विष कहाँ से आया।  जिससे कैदी की मृत्यु हुई ? पोस्टमार्टम के बाद पता चला कि ये विष कैदी के शरीर में मानसिक डर की वजह से उसके ही शरीर ने उत्पन्न किया था। 

अतः कहने का तात्पर्य ये है कि  हमारी अपनी मानसिक  स्थिति के अनुसार Positive अथवा Negative एनर्जी उत्पन्न होती है।  तद्दानुसार ही हमारे शरीर में हारमोंस पैदा होते हैं।  पॉजिटिव सोच जरूरी है। पॉजिटिव सोच के सहारे कोई भी जंग जीतना मुश्किल नहीं । अनेकों बीमारी का मूल कारण नकारात्मक विचार ऊर्जा का उत्पन्न होना है। 

 कोरोना को मन से ना लगाओ। बच्चों से लेकर 80 वर्ष तक के लोग Negative हो गये हैं। 
आकड़ों पर ना जाए। मृत्यु पाने वाले केवल कोरोना की वजह से नहीं बल्कि उन्हें अन्य दूसरी गंभीर बीमारियाँ भी थीं। जिसका मुकाबला वे कर नहीं सके। 

ये याद रखें कोरोना की वजह से कोई भी घर पर नहीं मरा। सबकी मृत्यु अस्पताल मे ही हुई। कारण अस्पताल का वातावरण एवं मन का भय। इसलिए अपने विचार सकारात्मक रखें और आनंद से रहें। परिवार के साथ अच्छा समय बिताएं। मेडिटेशन हमारे मन मस्तिष्क को शांत करता है। इसलिए इससे जरूर जुड़े और रोजाना मेडिटेशन करें। 

मनोचिकित्सक की सलाह :-

  कोरोना से जुड़ी ज्यादा खबरें ना देखे ना सुने ,    क्योंकि ये आपकी मानसिक स्तिथि को और ज्यादा कमजोर ही करेगा । आपको जितनी जानकारी चाहिए आप पहले से ही जान चुके हैं। 

क्योंकि सभी व्यक्तियों की मानसिक क्षमता एक सी नहीं होती। कुछ डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। अतः दूसरों को वायरस से संबंधित सलाह ना दें।  मास्क रोज लगाएं और हो सके तो घर रहे।  

जितना संभव हो संगीत सुनें , अध्यात्म , भजन आदि भी सुन सकते है। परिवार के साथ बैठकर आने वाले वर्षों के लिए प्रोग्राम बनाएं और उनके साथ अच्छा समय बिताएं। 

 अपने हाथों को नियमित अंतराल पर अच्छे से धोएं।  


अत्यंत आवश्यक ........ पूरा विश्वास रखें कि ये समय जल्द ही निकलने वाला है। और आप हमेशा स्वस्थ और सुरक्षित रहेंगे। 
सकारात्मक रहें - स्वस्थ रहें । लेकिन एहतियात (Precaution) ज़रूरी  है।  बस किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही ना बरतें..........
 
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