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मायावी नगरी छलिया राजा - वृंदावन धाम के कृष्ण कन्हैया की - Interesting Story In Hindi - Storykunj



 एक दोस्त ने मुझ से पूछा ! भाई वृन्दावन धाम कैसा है?  देखने की बड़ी इच्छा है !!

 मेरा पागल मन बोला......
" अरे , बिल्कुल मत जाना । बड़ी मायावी नगरी है वह , एक बार गए तो सही सलामत वापिस नही आ पाओगे।" कहीं से भी ढोल , नगाड़े , मंजीरे बज उठते हैं और पांव नाचने को मजबूर हो जाते हैं ।

  दोस्त :- "क्यों ? ऐसा क्या है उस नगरी में ?"

  पागल मन :- माया की नगरी है भैया वहां का राजा जादूगर है और बहुत बड़ा लूटेरा भी । इधर कदम धरा , उधर सब लुट गया समझो। मनुष्य को बांवरा कर देता है। पागल से भी बदतर । 

   दोस्त :- मैं बहुत समझदार हूँ , मैं नहीं आऊंगा उसकी बातों में।

 पागल मन :- वो बात करेगा तभी तो समझदारी दिखाओगे। तुम्हारा काम तो उस काले कलूटे राजा की नगरी में पांव धरते ही हो जाएगा। सयाने लोगों को तो वो चुन चुन कर अपने पागलखाने में भर्ती करता है। जो जितना ज्ञानी उतना बड़ा उसका शिकार ।

 दोस्त :-  मै छुप कर जाऊंगा उस नगरी, फिर देखता हूँ कैसे पागल बनाता है मुझे।

    पागल मन :- हा हा हा , भाई तुम नहीं जानते वहां का पत्ता पत्ता उस का गुप्तचर है । 

हवाएं उसके इशारे पर चलती हैं ।
तुम उसकी सीमा में गये नही कि लूट जाओगे ।

 दोस्त :- अरे ऐसे कैसे लूट लेगा ?

   पागल मन :- सुना है , उसने बहुत सारी गाय फैला रखी हैं गुप्तचर बना कर और उनकी आंखों में कैमरे हैं जो घुसते ही तुम्हारी फ़ोटो खींच उसे भेज देंगी । वो गाय ऐसा गोबर करती है कि उसकी खुशबू से मनुष्य के दिमाग पर असर होना शुरू हो जाता है। 

  दोस्त :- मैं सतर्क रहूँगा । मुंह ढक कर नाक बांध कर जाऊंगा । 

       पागल मन :- भाई , तू किस - किस से छुपेगा। उसके मायावी ग्वाल बाल बात - बात में तुझ पर जादू कर देंगे। उसका एक जादुई मंत्र है जो वहां हर वक्त वहां की हवा में तैरता रहता है..... 
    "राधे ~ राधे ~ राधे"

ये मन्त्र सुना नही कि तू बेसुध हो जाएगा ।

 दोस्त :- इसका भी उपाय है मैं कान में रुई डाल लूंगा ।

   पागल मन :- वहां की मिट्टी तो सबसे अधिक खतरनाक है। इधर तुम्हारे पैर को छूई नही कि हो गया तुम्हारा काम, स्वयं चल कर सीधे राजा के दरबार में पहुंच जाओगे ।

  दोस्त :- ऐसा क्या ?? मैं अच्छे से जुराब जूते पहन कर जाऊंगा।

 पागल मन :-  अरे भाई , वहां जा कर तो अपनी देह भी देह नही रहती । साफ इंकार कर देती है कि मैं तो इस काले राजा की हूँ तेरी ना मानूंगी । और तो और वहां के मनुष्य , पशु , पक्षी , पेड़-पौधे सब मायावी हैं । 
इतने मनमोहक हैं कि तुम उस पर से नज़र ही ना हटा पाओगे और इधर सीधी नज़र मिली नही कि तुम तो गए ।

  दोस्त :- मेरे पास एक विदेशी चश्मा है जिस पर किसी प्रकार की किरणें काम नही करती ।

हा हा हा , चश्मा?????

 पागल मन :- उस कलुए राजा ने एक वानर सेना इसी काम के लिए लगा रखी है। चश्मा कब उतार कर ले गए, तुम जान भी ना पाओगे।

 दोस्त :- चलो, कोई बात नही । अब जो होगा देखा जाएगा । यह बताओ वहां घूमने को कोई खूबसूरत बाग है।

 पागल मन :- हां है , पर वो भी राजा की माया से बंधे है। वहां गोपियों को तुलसी वेश मे दिन भर रहना पड़ता है और रात में राजा उन सब के साथ नृत्य करता है।

 दोस्त :- अरे वाह.... फिर तो रात का दृश्य तो देखने वाला होगा।

 पागल मन :- ना ना यह भूल मत करना । सुना है वहां जो रात रुक गया वो सही सलामत बाहर नही निकला ।

सन्त , शोधकर्ता सब की समाधियां हैं वहां ।

 दोस्त :-  यह कैसा राजा है ????? 

 पागल मन :- बचपन से ही यह राजा ऐसा है। सुना है 5 दिन का था तो दूध पिलाने आई एक राक्षसी को मार डाला था । 
इतना शरारती कि खेल-खेल में जहरीले नाग को मार डाला । 
यह तो बचपन से ही लुटेरा है , बेचारी ग्वालने अपने बच्चों को माखन नही देती थी ताकि कंस का कर चुका सकें और यह छोरा उनका माखन लूट कर अपने साथियों को खिला देता था।  ऐसा जादू करता था कि नंदगांव के छोरे अपने ही घर को लुटवाते थे। 



बच्चे तो कच्चे होते हैं उनको तो कोई भी छका सकता है ।

वो तो बड़े से बड़े का मन लूट लेता है।

उसके काले स्वरूप से आंख मत मिला लेना । पता नहीं क्या जादू है उन आंखों में कि मनुष्य बांवरा होकर सड़कों पर नाचने लगता है । 
खुद की सुध नही रहती, बस जी चाहता है कि उसी की नगरी में रम जाऊं और अगर परिजन तुम्हारी देह को वहां से ले भी आते हैं।  तो भी मन तो वहीं रह जाता है मन वापिस नही आता।



दिल में बैठ कर घर आ जाता है वो छलिया और फिर खूब नाच नचाता है।
पहले सारे परिवार को दीवाना करता है फिर मित्रों को और फिर सारे नगर को । छूत के रोग की  तरह फैल जाता है और सबको लूट लेता है ।

क्या सोच रहे हो जाऊं या नही ?

 भाई मेरा कर्तव्य था तुम्हें बताना, अब तुम्हारी मर्जी, पर जब भी जाओगे मुझे भी साथ ले लेना। 

उस छलिये ने मुझे भी लूट रखा है, सोच रहा हूँ बचा खुचा भी लुटा ही आऊं......!!!!!!!!
  
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