Ads Top

श्री खाटू श्याम जी की लीला - Religion Story In Hindi - Storykunj


।। मेरा सर्वेश्वर मेरा श्याम ।। जय श्री श्याम ।। 


आज से कुछ वर्षों पूर्व तक श्री खाटू श्यामजी का नाम केवल राजस्थान में ही जाना जाता था। मगर इधर कुछ वर्षों से खाटू श्यामजी का प्रचार इतना अधिक बढ़ गया है कि केवल भारत में ही नहीं, अपितु समूचे विश्व में न केवल इन्हें जाना जाता है कि बल्कि अनेक परिवार खाटू श्यामजी के चमत्कारों को अपनी आंखों से प्रत्यक्ष देख चुके हैं। 


राजस्थान के सीकर जिले में रिंगस कस्बे से 18 किलोमीटर की दूरी पर श्री खाटू श्यामजी का मन्दिर स्थिति है। जहाँ प्रभु के दर्शन मात्र से ही जीवन में खुशियों एवं सुख-शांति के भंडार भर जाते हैं। 


श्री खाटू श्याम जी की लीला की एक बड़ी ही सुंदर कहानी है। 


 खाटू धाम में एक ब्राह्मण रहता था। वह श्याम बाबा से असीम प्यार करता था। वह श्याम जी का इतना दीवाना था कि सुबह शाम जब तक वह मंदिर ना जाए उसका किसी भी काम में मन नहीं लगता था। मंदिर में जब भी भंडारा होता वह प्रमुख रूप से सेवा दान के लिए पहुंचता। 


एक दिन ब्राह्मण की बेटी की शादी तय हो गई और जिस दिन बेटी की शादी थी। उसी दिन ब्राह्मण की श्याम बाबा के मंदिर में भी ड्यूटी लग गई। अब वह सोच में पड़ गया कि करें तो क्या करें । दोनों ही काम जरूरी हैं। बेटी की शादी भी जरूरी है। और अपने श्याम जी की आज्ञा भी ठुकरा नहीं सकता। 


 ब्राम्हण सोचने लगा कि अगर यह बात वह अपनी पत्नी से बताएगा तो उसकी पत्नी नाराज हो जाएगी। वह कहेगी कि कोई क्या अपनी बेटी की शादी भी छोड़ता है। मजबूरी में एक दिन अगर तुम भंडारे में नहीं जाओगे तो भंडारा रुक नहीं जाएगा। और भी सेवादार हैं कोई और संभाल लेगा। लेकिन तुम्हारी बेटी की शादी दोबारा तो नहीं होगी।


ब्राह्मण बहुत उलझन में था।  वह जानता था कि कुछ भी हो उसकी पत्नी उसे भंडारे में नहीं जाने देगी।  लेकिन उसका अंतर्मन नहीं मान रहा था वह अपने भगवान से नजरे नहीं चुरा सकता था।  इसलिए वह अपनी बेटी की शादी के दिन ही घर में बिना किसी को कुछ बताए चुपचाप समय से पहले ही मंदिर पहुंच गया।


मदिर में जाकर प्यार से सब को भंडारा खिलाया और शाम होते ही जल्दी से घर वापस पहुंचा। क्योंकि बेटी की शादी में भी पहुंचना था। लेकिन  ब्राह्मण को पहुंचते-पहुंचते देर हो चुकी थी।  और बिटिया की शादी होकर बिटिया की विदाई भी हो चुकी थी।


जब वह घर पहुंचा तो उसकी पत्नी उससे बोली !  आओ चाय पी लो। बहुत थक चुके होंगे। ब्राह्मण  सोचने लगा कि बिटिया की शादी होकर विदाई भी हो गई। और मैं घर में अब पहुंचा हूं। फिर भी   घर में कोई भी उस पर क्रोधित नहीं हो रहा और  ना ही परिवार का कोई भी सदस्य उससे कोई सवाल कर रहा है कि वह शादी में नहीं था। बजाय नाराज होने के पत्नी सही से उससे प्यार से बात कर रही थी।


ब्राह्मण ने भी सोचा छोड़ो... क्या गड़े मुर्दे उखाड़ना है। जो हो गया, सो हो गया।  सब प्रभु की इच्छा है। पत्नी अगर प्यार से बात कर रही है तो बढ़िया है। इससे अच्छी बात क्या है।


कुछ दिनों के बाद बेटी की शादी में जो फोटोग्राफी हुई थी।  फोटोग्राफर शादी का एल्बम घर पर दे गया।  ब्राह्मण ने सोचा इस शादी में तो उपस्थित हुआ नहीं था।  चलो एल्बम देख लेता हूं। बेटी की शादी कैसी हुई थी। मगर यह क्या वह तो देख रहा है इस शादी में हर जगह उसकी भी तस्वीर है। जो जगह-जगह  विवाह में जिम्मेदारियाँ सम्भल रहे थे। 


 ब्राह्मण फूट- फूट कर रोने लगा और कहने लगा ! मेरे श्याम प्रभु तेरी कैसी लीला है ! वो रोता हुआ श्याम जी के मंदिर पहुँचा और चरणों में गिरकर बोला ! प्रभु मैं जीवन भर तुम्हारी नियमित रूप से सेवा करूंगा। 

 है "कृपा" जिनकी मेरे ऊपर,  

मेरा जीवन भी उन्ही का "वरदान" है, 

 शान से जीना सिखाया जिसने, 

 वह खाटू वाला बाबा श्याम है। 

 स्वर्ग के लिए गया जी ही क्यों जाना - Family Story In Hindi

 प्रत्येक वर्ष होली के दौरान खाटू श्यामजी का मेला लगता है। इस मेले में देश-विदेश से  भक्तजन बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है। बाबा श्याम, हारे का सहारा, लखदातार, खाटूश्याम जी, खाटू का नरेश और शीश का दानी इन सभी नामों से खाटू श्याम को उनके भक्त पुकारते हैं। 

खाटूश्याम जी मेले का आकर्षण यहां होने वाली मानव सेवा भी है। बड़े से बड़े घराने के लोग आम आदमी की तरह यहां आकर श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। 


अगर आपको Story पसंद आई हो तो अपने Friends  को भी Share  कीजिए और Comment  में बताइए कि आपको कैसी लगी  यह Story 

3 comments:

Powered by Blogger.