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भाषण सिर्फ दो मिनट का - Short Story In Hindi - Storykunj



घटना उस समय की है ।  जब स्वामी विवेकानंद 'प्रथम विश्व धर्म सम्मेलन' में हिस्सा लेने के लिए शिकागो गए थे। स्वामी जी को भारतीय सभ्यता और संस्कृति से अटूट प्रेम था। वह हमेशा गेरुआ रंग का वस्त्र ही धारण करते थे। धर्म सम्मेलन में भी स्वामी विवेकानंद जी यही पोशाक धारण करके पहुंचे थे।

 धर्म सम्मेलन आरंभ हो चुका था। जब स्वामी जी के बोलने की बारी आई तो वह मंच की ओर बढ़ने लगे।  सम्मेलन के आयोजकों ने जब उनकी पोशाक को देखा तो बड़ी अजीब सी नजरें डालते हुए कहा......
 'आपको बोलने के लिए दो मिनट का समय दिया जाता है।  इन दो मिनटों  में ही आपको अपनी स्पीच समेटनी होगी।' 

 स्वामी विवेकानंद जी ने आयोजकों की यह बात सुनी और हां में सिर हिलाकर मंच की तरफ बढ़ गए।  वह खुद भी अनुशासन के पक्के थे। 

लाउडस्पीकर के सामने पहुंच कर उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा! 
'सिस्टर्स एंड ब्रदर्स ऑफ अमेरिका।' 

उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सभी का दिल जीत लिया था।  इससे पूर्व सभी भाषण दाता अपनी स्पीच में 'लेडीज एंड जेंटलमैन' कहते थे। स्वामी विवेकानंद जी के इस संबोधन से पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।  लगभग दो मिनट तक हॉल में तालियां बजती रही। इस तरह स्वामी जी का दो मिनट का समय पूरा हो गया।  और वह आगे बिना कुछ बोले मंच से उतर गए। 

 पूरी सभा हैरान थी। स्वामी जी मंच से क्यों उतर गए। कोई कुछ समझ नहीं पाया कि क्या हुआ। 

आयोजक हैरानी से उन्हें देखते हुए बोले ! विवेकानंद जी आप मंच से क्यों उतर गए?   आपकी तो शुरुआत ही भारी करतल ध्वनियों से हुई है। 

इस पर स्वामी विवेकानंद सहजता से बोले !आपने मुझे बोलने के लिए मात्र दो मिनट दिए थे। और इसी बीच वह समय पूरा हो गया।  मैं आपके आदेश का उल्लंघन कैसे करता।  


स्वामी विवेकानंद का जवाब सुनकर आयोजक बहुत शर्मिंदा हो गए।  और उन्होंने विनम्रता पूर्वक स्वामी जी से अपना भाषण पूरा करने के लिए कहा ! इसके बाद उन्होंने काफी देर तक अपना भाषण दिया।  और उनका यह भाषण आज तक हर पीढ़ी को जागृत करता रहा है। 


भारत में विवेकानंद को एक देशभक्त सन्यासी के रूप में माना जाता है और उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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