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बेइज्जती का रंग - Interesting Story In Hindi - Storykunj


 "रूपम लेडीज ब्यूटी पार्लर"  बड़ा सा बोर्ड दुकान के ऊपर और दोनों तरफ लगे हुए थे सजी हुई दुल्हन के बड़े-बड़े चित्र।  बीच में बड़ा सा गहरे काले रंग के शीशे का दरवाजा, जिस पर लगा वेलकम का स्टीकर उन्हें भीतर आने का आमंत्रण दे रहा था।

वकील साहिबा हर्षलता जी  कुछ देर बाहर ठिठक कर खड़ी रही। फिर हिम्मत कर अंदर चली गई ।
 हर्षलता जी एक छोटे कस्बे के व्यापारी की पुत्री हैं उन्होंने कानूनी पढ़ाई शहर में हॉस्टल में रह कर की। शिक्षा के दौरान धनाभाव के कारण आने वाली समस्याओं में एक प्रमुख  समस्या घनी आइब्रोज के बार-बार बढ़ने की भी थी। 

विश्वविद्यालय के नजदीक ही एक दुकान का पार्लर उनका सहारा था। छुट्टी के दिन हॉस्टल की लड़कियों का हुजूम उस छोटे से पार्लर की कुर्सियों पर कब्जा जमा लेता और फेशियल के साथ-साथ आइब्रोज भी बन जाया करती थी।

 हर्षलता जी ने पढ़ाई पूरी करने के बाद इसी शहर में वकालत शुरू की। कोई भी नया काम चलने में वक्त लगता ही है। हाथ तंग तो था मगर फिर भी गुजारा हो ही जाता था।  पहले तो लगभग हर हफ्ते मां बाप के पास जाना हो जाता था और वहीं पड़ोस की ब्यूटीशियन भाभी से आइब्रो बनवा लिया करती थी। साथ में फेशियल भी हो जाया करती। भाभी भी कौन, बचपन में स्कूल में साथ पढ़ी हुई। जो इसी में खुश थी कि उनकी सहेली शहर जाकर वकील बन गई है। वैसे हर्षलता जी सहेली के साथ खाने के लिए कचोरी, समोसे ले जाना कभी नहीं भूलती थी। 

पिछले दो महीने से घर जाना नहीं हो पाया था। इसलिए हर्षलता जी हिम्मत करके इस बड़े "रूपम लेडीज ब्यूटी पार्लर" में आई थी।

 पार्लर में घुसते ही उनका सामना तरह-तरह की खुशबूऔं और रंगीन रोशनियौं से हुआ। चारों तरफ शीशे लगे थे । करीब दसियों कुर्सियां करीने से बिछी हुई थी।  जिन पर बैठी महिलाएं सामने लगे शीशौं  में खुद को प्रेजेंटेबल होते देख रही थी।  वकील साहिबा दो कदम आगे बढ़कर फिर  रुक गई। इतने में बहुत खूबसूरती से लहराते बालों वाली एक लड़की ने उनका स्वागत करते हुए बड़ी गद्देदार कुर्सी पर बिठा दिया।

"आपके यहां आइब्रोज बनवाने की रेट क्या है?"
 हर्षलता जी ने अटकते हुए पूछा।

 पार्लर की मालकिन रूपम ने बड़ी मीठी जबान में जवाब दिया।
 "मैम 50 रुपए ओनली।" 
"ओके, ओके!! जरा सही शेप दीजिएगा।" कहते हुए वकील साहिबा ने स्वयं को उस कुर्सी के हवाले कर दिया और आंखें बंद कर ली। 

"वाह वाह !  क्या स्वर्ग सा आनंद आ रहा है। और इन लोगों का व्यवहार भी कितना अच्छा है। मैं बेकार ही अब तक यहां आने से डर रही थी।" 

 आइब्रो सेट होने के बाद ब्यूटीशियन रूपम ने बड़े प्यार से पूछा?   "मैम,  आप कहें तो आई मेकअप और आपके बालों का खूबसूरत जुड़ा भी बना दें ?। 

"हां!  हां!  क्यों नहीं।" 

बस इसी तरह थोड़ी ही देर में वकील साहिबा के बालों में स्प्रे करके खूबसूरत जुड़ा बना दिया।

उन्होंने उठकर पर्स में से सो रुपए का नोट निकाला और काउंटर पर दिया।

" मैम , आपके 499  रुपए हो गए हैं।" 

"क्या?? वो कैसे।?"  उनके पांव के नीचे  से जमीन खिसकने लगी।

अब काउंटर पर ब्यूटीशियन के चेहरे से मुस्कान गायब हो चुकी थी।
 मैम ₹99 हेयर स्टाइल ,
₹50 हेयर स्प्रे 
आइब्रो ₹50
 आई लाइनर, आई शैडो और मसकारा  300 रुपए मात्र। 
टोटल ₹ 499 !

 हर्षलता जी के होश उड़ गए। हिम्मत कर बोली।
" आप लोग रेट बहुत ज्यादा लगा रहे हैं।"

"नहीं मैम,  हर चीज की रेट अलग-अलग है।"

"लेकिन आपने तो पहले बताया ही नहीं!"

" मैम , आपको पहले  पूछ लेना चाहिए था। वह देखिए हमने सामने रेट लिस्ट भी लटका रखी है।"  ब्यूटीशियन ने बेहद रूखे अंदाज में जवाब दिया।

 ब्यूटी पार्लर की सेवाएं ले रही अन्य महिलाओं की गर्दन भी वकील साहिबा की तरफ घूम गई थी।  उनकी निगाहों में हिकारत साफ नजर आ रही थी।

"कैसे-कैसे लोग हैं!"

"जेब में रुपए नहीं है तो क्यों चले आते हैं?"
"गंवार लोग हैं जी!! मुंह उठाए शहर की ओर चले आते हैं और शहर के तौर तरीके जानते नहीं।"

हर तरफ हो रही निंदा उनके कानों में पिघले शीशे की तरह समा रही थीं। 
 
हर्षलता जी के पर्स में अब मात्र  चिल्लर ही बाकी बची थी। एक 5 सो का नोट और था जो बुरे दिनों के लिए बचा कर रखा था। उनको कॉलेज के दिन याद आ गए। वे पहले थोड़ा गुस्सा हुई,  फिर रिक्वेस्ट की। लेकिन पार्लर की मालकिन रूपम पर कोई फर्क नहीं पड़ा।

मन मारते हुए उस 500 के नोट को निकाला और बड़े बेमन से हर्षलता जी ने रुपए चुकाए । बाहर निकलते हुए उन्होंने  कसम खाई कि अब आगे से इस शहर में ब्यूटी पार्लर में नहीं घुसेगी। चाहे कितने भी दिन गुजर जाए लेकिन आइब्रोज तो अपनी सहेली से ही बनवानी है।

उस दिन के बाद वह कई बार रूपम ब्यूटी पार्लर के सामने से गुजरी। एक बार तो रूपम ब्यूटीशियन अपने पार्लर के बाहर खड़ी थी उसने उन्हें पहचान लिया और मुस्कुरा कर भीतर आने का आमंत्रण भी दिया। लेकिन वकील साहिबा ने व्यस्त होने और फिर कभी आने का बहाना बनाया।

कुछ ही दिन बीते होंगे,  वकील साहिबा जी कोर्ट के बाहर अन्य वकीलों के संग बैठी थी। उनके पास कामकाज कुछ खास था नहीं। बस समय व्यतीत हो रहा था। 

इतने में वही ब्यूटीशियन रूपम बड़े परेशान हाल,  हाथ में एक कागज का लिफाफा लिए कोर्ट परिसर में आई। दोनों की निगाह मिली। निगाह मिलते ही रूपम को लगा कि जैसे  डूबते को सहारा मिल गया हो। वह लपक कर वकील साहिबा के पास पहुंची। और उनके हाथ में कागज पकड़ा दिया।

"अरे!!  मुझे तो पता ही नहीं था, आप वकील साहिबा हैं। देखिए कोर्ट से यह नोटिस आया है उसके साथ यह कागज भी आए हैं। जरा देख कर तो बताइए इसमें क्या है?"  

वकील साहिबा ने गंभीर मुद्रा में सारे कागजात  पढ़े,  फिर पूछा "आपने पार्लर वाली दुकान किराए पर ले रखी है?" 

"हां जी!!

" मालिक ने दुकान खाली कराने के लिए दावा कर दिया है। उसी का नोटिस और दावे की प्रति है। अब आपको दुकान खाली करनी पड़ेगी।"

 ब्यूटीशियन रूपम के होश उड़ गए।

"लेकिन मेरा पार्लर तो पिछले 10 साल से वहीं चल रहा है।"

"वही तो लिखा है ! आपने अब तक किराया भी नहीं बढ़ाया और दुकान मालिक को अपने बेटे के लिए दुकान की जरूरत है।" 

"मुझे इससे अच्छी दुकान इतने सस्ते में और कहीं नहीं मिल सकती! वकील साहिबा, अब क्या होगा? " 

" होना क्या है ! या तो दुकान खाली कर दीजिए या मुकदमा लड़िए।" 

"वकील साहिबा, दुकान तो कैसे खाली कर दें। मुकदमा ही लड़ना पड़ेगा।" 

"तो फिर आप कोई वकील ढूंढ लीजिए जो आपकी तरफ से मुकदमे लड़े।" हर्षलता जी थोड़े रूखे स्वर में बोली।

"मैं तो किसी वकील को नहीं जानती ! आप ही मेरी मदद करें।" ब्यूटीशियन ने बेबसी जताई।

" देखिए , मेरी फीस तो कुछ ज्यादा है तुम कोई सस्ता वकील ढूंढ लो।" हर्षलता जी के दिमाग से वह बेइज्जती अभी निकली नहीं थी,  लेकिन मन ही मन में क्लाइंट के हाथ से निकलने का डर भी था,  फिर भी उन्होंने कलेजे पर पत्थर रखकर कह दिया।

"वकील साहिबा , काम तो आपको ही करना है, बस फीस बताएं।" ब्यूटीशियन ने बड़े विश्वास से कहा।

 हर्षलता जी ने फिर से सारे कागजात देखें और बताया, मेरी फीस इस केस में ₹20000 होगी तुम्हें जचे तो देख लो।

 फीस सुनकर ब्यूटीशियन के होश उड़ गए।
"वकील साहिबा, कुछ तो लिहाज कीजिए।"

" आप तुम दूसरे वकीलों से पूछ के आ जाओ !उसके बाद थोड़ा बहुत मैं देख लूंगी।"

कई वकीलों के  पास धक्के खाने के बाद अंतत रूपम हर्षलता जी के पास ही आई। 

"नहीं नहीं ,मुझे तो आपसे ही मुकदमा लड़वाना है ! बस मैं घर जाकर आपकी फीस ले आती हूं।

"वकील साहिबा , यह लीजिए ₹10000 एडवांस !!लेकिन मैं आपको पूरी फीस के 15000 ही दे पाऊंगी ‌।" 

"ठीक है , आपका लिहाज रखना पड़ेगा! "  मन ही मन मुस्कुराते हुए वकील साहिबा ने कहा और रूपम से वकालतनामे पर हस्ताक्षर करवा कर न्यायालय में अपनी हाजिरी दे दी।

अगली पेशी पर रूपम के आते ही वकील साहिबा ने उससे ₹4000 और मांग लिए । 

 ब्यूटीशियन रूपम घबरा कर बोली,  बाकी की फीस तो मैं मुकदमा खत्म होने पर ही दूंगी न! " 

"यह फीस के रुपए नहीं है। दूसरी पार्टी ने जो कागजात पेश किए हैं उनकी नकल निकलवानी है। यह तो तुमको देने ही पड़ेंगे।"

"लेकिन वकील साहिबा,  आपने तो ₹15000 ही तय किए थे।"

"देखो,  यह ₹15000 तो मेरी फीस है । लेकिन खर्चा तो तुम्हें देना ही पड़ेगा ना। वह मैं अपनी जेब से थोड़ी ना दूंगी।" 

 रूपम ने चुपचाप ₹4000 निकाल कर दिए।

अगली पेशी पर रूपम के आते ही वकील साहिबा ने फिर से ₹5000 की मांग की।

"देखो,  हमें जवाब भी पेश करना है तो उसकी टाइपिंग वगैरा के और पेश करने के पैसे तो लगेंगे ही।"

 मरता क्या न करता, बेचारी रूपम ने चुपचाप ₹5000 फिर से दिए।

अब मुकदमे में पेशियां पड़ने लगी। हर पेशी पर रूपम आती और कभी 2000 कभी 5000 किसी न किसी मद में वकील साहिबा को दे जाती।

कई पेशियां गुजरी लेकिन मुकदमे का फैसला नहीं हो पाया। बस ब्यूटीशियन की जेब खाली होने लगी। अंततः एक दिन रूपम ने परेशान होकर वकील साहिबा से कहा।

"अब बहुत हो गया !! मैं आगे से आपको एक रुपया भी नहीं दूंगी और वकील भी बदल लूंगी।" 




 हर्षलता जी मुस्कुराई !! "कोई बात नहीं!  तुम मुझसे नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट ले लो और दूसरा वकील कर लो। " 

"ठीक है, आप मुझको नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दे दीजिए ,  वकील साहिबा।" 

 रूपम  इसके लिए तुम्हें मुझे ₹20000 देने होंगे।"

" अब यह किस बात के?" 

"अगर मैं तुम्हें नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं दूंगी तो कोई वकील तुम्हारे मुकदमे को हाथ नहीं लगाएगा।"

 रूपम गुस्से से वहां से उठ खड़ी हुई और दूसरे वकीलों के  पास पहुंची।

किसी ने भी बिना नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट के उसका मुकदमा लेना स्वीकार नहीं किया।

उदास रूपम फिर से हर्ष लता जी के पास आकर बैठ गई ।

"वकील साहिबा, आपने तो मात्र ₹15000 फीस की बात की थी।   फिर हर पेशी पर मेरा इतना खर्चा क्यों हो रहा है?" 

 रूपम जी, आप को पहले से पूछ लेना चाहिए था। आपने सिर्फ फीस के बारे में पूछा,  मैंने  बता दिया। आप अगर बाकी खर्चों के बारे में पूछती तो वह भी बता देती। अगर मुकदमा लड़ना है तो यह सारे खर्चे झेलने पड़ेंगे , चाहे मेरे से केस लड़वाएं  या किसी और से। कहते हुए हर्षलता जी मुस्कुराई। 

 "रूपम ब्यूटी पार्लर" में हुई हर्षलता जी की बेइज्जती का रंग अब धीरे-धीरे उतर रहा था।

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