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बेटी की ससुराल - Inspirational Story In Hindi - Storykunj

छोटे से गांव की सुशीला नाम की एक महिला ने कुछ साल पहले पशुपालन करके दूध का काम शुरू किया था। अपने काम की शुरूआत उन्होंने दो पशुओं से की। दूध निकालने और फिर दूध बेचने के काम खुद ही करतीं थी। हालांकि उनका भरा पूरा परिवार है । बच्चों की शादी हो चुकी हैं। बेटी की शादी पिछले महीने ही हुई थी। 

आस-पड़ोस के घरों की महिलाएं उन्हीं के यहांं दूध लेनेे आती है। आज सुबह जब पड़ोस मेंं रहने वाली मंजू,  सुशीला के घर दूध लेने के लिए डोली लेकर पहुँची तो उस समय सुशीला आंटी फोन पर बात कर रही थी।
 अत: मंजू ने कुछ क्षण रुकना ठीक समझा और सुशीला आंटी ने रुकने का संकेत भी किया तो वह रुक गयी।  

 सुशीला आंटी की बातेंं पास ही बैठी मंजू के कान में भी पड़ रही थी।

वह अपनी उस बेटी से बात कर रही थी।  जिसकी शादी पिछले महीने ही हुई थी।

वह कह रही थी "देखो बेटी मायके की याद आती है,  ठीक है। लेकिन वह घर अब तुम्हारा है। तुम्हें अब अपना सारा ध्यान अपनी ससुराल की खुशी के लिए लगाना है।  और बार-बार फोन मत किया करो। सबसे चोरी-छिपे तो बिलकुल भी नहीं ।

जब भी यहाँ फोन करना तो सास या पति के सामने करना। पति की खुशी में ही पत्नी की खुशी होती है। 

तुम अपने फोन पर मेरे फोन का इंतजार कभी मत करना। मुझे जब कभी भी बात करनी होगी तो मैं तुम्हारी सास के या दामाद जी के नंबर पर फोन लगाऊँगी। तब तुम भी बात करना। 

बेटी ! तुम्हारी शादी हो चुकी है। अब ससुराल में हो,  छोटी छोटी बातों पर तुनकना छोड़ दो, जिम्मेदार बनो, सहनशक्ति रखो।

अपना घर कैसे चलाना है? तीज-त्योहार कैसे करने हैं? ये सब अपनी सास से सीखो। हर घर के अपने तौर-तरीके होते हैं। एक बात हमेशा ध्यान रखो। "ससुराल वालों का सम्मान करोगी तो सम्मान पाओगी । मायके की लाज रखना।
 ठीक है  ....... सुखी रहो"




 सुशीला की यह सारी बात सुन रही मंजू ने प्रशंसा के भाव में कहा " बेटी को बहुत सुंदर समझाया आपने"

 सुशीला बोली ! बहन,  माँ को बेटी के परिवार में अनावश्यक दखल नहीं देनी चाहिये। उन्हें अपने घर की बातों को भी बिना मतलब इधर-उधर नहीं करना चाहिये। उस घर कोई समस्या हो तो समस्या का हल खुद ढूँढ़ो।
 
मंजू उस देवी का मुँह देखती रह गयी। सभी माँ को इसी तरह से सोचना चाहिए  ताकि बेटी अपने घर को खुद का घर समझे। और उसके घर में खुशहाली आए। 

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