Ads Top

करोना काल और ससुराल - Poetry In Hindi - Storykunj


 एक बार कोरोना काल में, जब मैं पहुंच गया ससुराल। 
 
क्या बताऊं भाई ! बहुत ही अजीब सा था वहां का हाल। 

 बजाते ही घर की घंटी,  मेरी सास दौड़ी आई !

 आया देख दामाद को आज, वह मजबूरी मे मुसकाई। 

 कहने लगी ! थोड़ी देर गेट पर आप ठहर जाओ।

 फिर जाकर वाश वेशन पर सैनिटाइजर से हाथ धो आओ। 

 आप तो पढे लिखे हो, फिर भी चेहरे पर मास्क नहीं लगाया ?
 
अपने घर पर ही रहना था,  क्या यह किसी ने नहीं समझाया ??

खैर अब यहां आ ही गए हो तो,  दरवाजे पर अपने जूते दो उतार। 

 अच्छे से हाथ-पैर धोकर आ जाओ,  चाय रखी है तैयार। 

 कैसे बताऊं भाई ! दिल मे उठा क्रोध बहुत,  लेकिन कुछ कह नहीं पाया। 

 ऐसे लगा जैसे उनका दामाद नही, कोई राक्षस ससुराल आया। 

इज्जत तो सारी की सारी,  इस कोरोना ने हर ली।

  बाकी की रही - सही कसर,  सासू माँ ने पूरी कर ली।

फिर बेआबरू हो, मुश्किल से कदम साली की ओर बढाया। 

 साली की तरफ से भी नकारात्मक सा उत्तर आया। 

 कहने लगी सामाजिक दूरी को समझ नहीं पाये ? जीजू आप क्यूँ यहां चले आऐ ??

 मेरी तो दूर से ही है आज आपको नमस्ते !

छोटे साले ने भी दूर से ही हेलो किया, हंसते हंसते। 

फिर पूज्य ससुर जी की आवाज दी सुनाई। 

कवारंटाइन करना सारे , दूसरी जगह से आया है जमाई । 

चाय थी मेरे हाथ में , पर नहीं जा रही थी गटकी। 
 छोड़-छाड़ कर चाय, लगाना चाह रहा था मैं फटकी। 
 
जिस काम को सरकार लोकडाउन मे नहीं कर पाई। 
 क्या बताऊं भाई ! ससुराल वालों ने एक ही दिन में दी समझाई। 

 अगर आपको यह Poetry  पसंद आई हो तो अपने Friends  को भी Share कीजिए और Comment  में बताइए।  आपको कैसी लगी है Poetry 

No comments:

Powered by Blogger.