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आज की नारी - Motivational Story In Hindi - Storykunj

अंजलि को मैगजीन पढ़ते-पढ़ते अचानक कब झपकी लग गई पता ही नहीं चला अचानक डोरबेल की आवाज से आंख  खुली......
 दरवाजा खोला, देखा तो काम वाली महरी चंपा थी । 
 अरे चंपा तू आज इतनी जल्दी आ गई ।  हां दीदी आज मेरी बेटी का जन्मदिन है ना, सारा काम जल्दी से निपटा कर बाजार भी जाना है ।  उसके लिए तोहफा लाना है । इसलिए मैं आज जल्दी आ गई । ऐसा  बोलकर चंपा काम में लग गई । आज उसके चेहरे की चमक बता रही थी कि वह कितनी खुश है । 
 कितने साल की हो गई तेरी बेटी ? 
 पूरे 5  वर्ष की हो जाएगी । उसके लिए नई फैंसी ड्रेस खरीदनी है । 
 दीदी आपके लिए कॉफी बना दूं ? हां बना दे, और सुन,  जाते वक्त मुझसे कुछ पैसे ले जाना। मेरी तरफ से भी अपनी बेटी के लिए कुछ ले लेना। 
 साहब का रूम अच्छे से साफ करना तुझे पता है ना, उन्हें गंदगी बिल्कुल पसंद नहीं । 
 जी दीदी सब काम कर दूंगी आप चिंता मत करो। 
 चंपा ने काम निपटा कर कॉफी बना कर दी और पास आकर बैठ गई।दीदी एक बात पूछूं आपसे ? आपकी शादी को कितने साल हो गए ? 
 कल पूरे 2 साल हो जाएंगे । 
 मतलब कल आपकी शादी की सालगिरह है । 
 मैंने हां में सिर हिला दिया । 
 फिर तो कल आपके घर में खूब जश्न होगा, है ना दीदी ? 
 अरे नहीं ! मैं और तुम्हारे साहब डिनर के लिए होटल जाएंगे बस । 
 ऐसा क्यों दीदी ? 
 आपका तो इतना बड़ा घर है, साहब की इतनी अच्छी कमाई है,  आपका मायका भी कितना अमीर है,  फिर भी जश्न नहीं कर रहे हैं ऐसा क्यों दीदी ? 
 अरे तू यहां बातें ही करती रहेगी या घर जाकर अपनी बेटी की जन्मदिन की तैयारी भी करेगी । 
 अरे हां ! मैं भी ना कितनी पागल हूं , बातों में लग जाती हूं , इतना कहकर चंपा  चली गई । 
 तभी मोबाइल की घंटी बजी, मां का फोन था ।  कहने लगी  ! अंजलि तुम्हारी सालगिरह पर सेलिब्रेशन के लिए मैंने होटल बुक कर दिया है । और हां मेहमानों की लिस्ट भी बना ली है ।  तू और भी किसी को बुलाना चाहे तो बुला लेना ओके !
 नहीं मां मुझे कोई पार्टी वार्टी नहीं करनी है ।  प्लीज आप जिद मत करो । 
 जिद,  में नहीं तुम कर रही हो अंजलि । जो हुआ उसे भूल जाओ। पुरानी बातों को लेकर बैठी मत रहो  । चुपचाप पार्टी के लिए हां कर दो समझी । ऐसा कह कर मां ने फोन काट दिया । 
 अपनी सगी मां से भूल जाने जैसी बात सुनना अच्छा नहीं लग रहा था । कैसे भूल जाऊं मां,  जो पिछले साल विशाल ने मेरे साथ किया था।  सब मेहमानों के सामने उसने मुझ पर हाथ उठाया था। कितना रोई थी तब मैं,  आप भी तो वहीं थी उस वक्त । 
 पति पत्नी में छोटे-मोटे झगड़े तो होते रहते हैं। 
समाज की दुहाई देकर मुझे रोता हुआ छोड़ कर चली गई । 
 बस यही कारण था।  कि विशाल की हिम्मत और बढ़ गई थी। शराब पीकर मारपीट करना, गाली गलौज करना ।  अब तो यह आम बात हो गई थी । यह सब सोचते सोचते कब रात हो गई पता ही नहीं चला । सिर दर्द करने लगा था । 
 तभी डोर बेल बजी । दरवाज़ा खोला तो विशाल थे । उनके लिए  खाना लगाने लगी, तो विशाल बोले ! मैं खाना खा कर आया हूं । 
 सुनो ! कल पार्टी है,  कोई नाटक मत करना, पिछली बार की तरह । और किसी अच्छे पार्लर से तैयार होकर आना । तुम मैसेज अंजलि विशाल वर्मा हो । 
 एक मल्टीनेशनल कंपनी के मालिक की पत्नी और एक समाज सेविका शारदा जी की बेटी हो।  यह बात हमेशा याद रखना समझी ।
       ऐसा बोलकर विशाल बेडरूम में चले गए ।

 अगले दिन ब्रेकफास्ट करके विशाल ऑफिस चले गए ।  तभी  महरी  चंपा आई, अरे चंपा तुमको यह चोट कैसे लगी ? कहीं गिर गई थी क्या तुम ? उसकी आंखों में आंसू आ गए । दीदी क्या बताऊं ? कल रात मेरे मर्द ने शराब पीकर मुझ पर हाथ उठाया, बहुत मारा और सारे पैसे  भी छीन लिए। 
 क्या तुम्हारे पति ने भी हाथ उठाया ? 
 भी मतलब दीदी ? 
 कुछ नहीं, कुछ नहीं,  फिर तुमने क्या किया ? 
 करना क्या था दीदी, अपना हिसाब साफ है, इज्जत के बदले इज्जत,  प्यार के बदले प्यार, और मार के बदले मार ।
 क्या? तुमने अपने पति पर हाथ उठाया? ऐसा कैसे कर सकती हो तुम चंपा? 
 अरे ! क्यों नहीं कर सकती जब उसे मेरी इज्जत की परवाह नहीं तो फिर मैं क्यों करूं । मैंने उसे पूरी बस्ती के सामने मारा और भगा दिया और बोल दिया । आइंदा अगर शराब पीकर मुझ पर हाथ उठाया तो बहुत मारूंगी । 
 मुझे चंपा आज किसी योद्धा से कम नहीं लग रही थी । 
 चंपा अपना काम निपटा कर चली गई । 

 तभी विशाल का फोन आया मैं ऑफिस से सीधा होटल आ जाऊंगा ।  तुम मेरे कपड़े लेकर आना ओके !
     मैंने पार्लर जाते वक्त विशाल के कपड़े अपने साथ रख लिए और शाम को होटल पहुंच गई । 
      पार्टी शुरू होने वाली थी । मां भी वहीं पर आ गई थी ....  सभी मेहमान आ चुके थे  I तभी विशाल भी वहां आ गए l मैंने उनको कपड़े दिए और वह चेंजिंग रूम में चले गए,  और देखते-देखते पार्टी शुरू हो गई I मेकअप से लीपे- पुते चेहरे,  जाम से जाम टकरा रहे थे l
 इतने में विशाल मुझे घूरते हुए बोले ! बेवकूफ औरत तुम मेरे लिए पार्टी में पहनने के लिए यह कपड़े लाई हो l 
मैंने कहा ! जो मुझे सही लगे , मैं ले आई l 
          तुम मुझसे जुबान लड़ओगी । अभी बताता हूं तुम्हें। वह मेरा हाथ पकड़कर घसीटते हुए मेहमानों के बीच ले गए और सब के बीच उनका हाथ मेरे गाल पर आने ही वाला था कि ना जाने मुझमें इतनी हिम्मत कहां से आ गई, मैंने उनका हाथ पकड़कर झटक दिया और अपने दूसरे हाथ से उनको एक तमाचा मार दिया । वह सन्न रह गए और उनकी आंखें गुस्से से लाल हो गई । तेरी इतनी हिम्मत तू मुझ पर हाथ उठाएगी । इतना कहकर उन्होंने मेरे बाल पकड़ना चाहे । 





 मैंने डर कर,  बजाए पीछे हटने के दो कदम और आगे बढ़कर उनको धक्का मार दिया और चुप रहने का इशारा करते हुए बोली ! तू बहुत बोल चुका मिस्टर विशाल वर्मा,  अब मेरी बारी है। 
 
 औरत कोई खिलौना नहीं होती।  जिससे जब चाहे, जैसा चाहे, खेला जाए । आज के बाद अगर मुझ पर हाथ उठाया तो तेरा वह  हाल करूंगी कि तू जिंदगी भर याद रखेगा समझा !

 तभी मां मेरे पास आई और बोली  ! क्यों मेरी नाक कटवा रही हो अंजलि । चलो यहां से ।

      मां  ! आज आप समाज की दुहाई नहीं दोगी। आपकी वजह से ही मैं आज तक चुप रही और मेरी चुप्पी को आपके दामाद ने मेरी कमजोरी समझा ,  पर अब और नहीं ।
          मैं पढ़ी-लिखी आज की नारी हूं । अपना भला बुरा समझ सकती हूं । मैं किसी की दया पर नहीं खुद अपने पैरों पर खड़े होकर जीना चाहती हूं ।

 मैं वहां से निकल रही थी तभी मेरी नजर चंपा पर पड़ी वह ताली बजा रही थी और उसकी आंखों में गर्व की चमक थी ।

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