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मजबूरी एक मेड की - Family Story In Hindi - Storykunj


सचिन और सुहाना पिछले कई साल से एक अरब देश में है । उनका एक बेटा है तरंग ।  बच्चे के जन्म के समय सुहाना ने नौकरी छोड़ दी थी ।  तरंग स्कूल जाने लगा तब सुहाना ने फिर से नौकरी पर जाने का मन बनाया । 

बच्चे की देखभाल के लिए दंपत्ति को एक मेड रखने की जरूरत हुई।  जो 10:00 से 5:00 तक उनके घर में रहकर काम कर सकें । स्कूल से लौटने पर तरंग की देखरेख कर सके और दोपहर का भोजन भी बना सके। इसके लिए उन्होंने हिंदुस्तानी मेड खोजनी शुरू की ।
           
 अरब देशों में अधिकांश कामकाजी महिलाएं दक्षिण भारतीय हैं । जिनके साथ भाषा और खानपान की उलझने पेश आती हैं । इसलिए वह एक ऐसी मेड रखना चाहते हैं जो हिंदी -अंग्रेजी बोल लेती हो और समझ लेती हो । उन्हें भी काम पर रखने से पहले अच्छी तरह जांच पड़ताल की जाती है कि उनके पास टूरिस्ट वीजा,  डिपेंडेंट वीजा या वर्क वीजा में से कौन सा वीजा है । और वीजा की मियाद क्या है ।
        
  मारिया नाम की एक महिला,  मेड की नौकरी के लिए ही सुहाना से मिलने आई थी । मारिया ने अपनी स्फूर्ति और चपलता से सबका मन मोह लिया। सचिन और सुहाना ही नहीं, तरंग ने भी घोषणा कर दी, कि मारिया ही इस घर की अच्छी मेड हो सकती है ।
  
          मारिया ने अपना परिचय- पत्र सुहाना और सचिन को दिखाया । सचिन ने जब उसके पासपोर्ट और वीजा के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह किसी के पास गिरवी रखा है ।          
     गिरवी रखा है........... मारिया की यह बात सुनते ही सचिन चौक गए। 

   बोले ! तो क्या तुम किसी स्पॉन्सर के जरिए यहां आई हो  ?  और तुम उसकी नौकरानी हो ?  फिर हम तुम्हें काम पर कैसे रख सकते हैं ? 
 
         मारिया बोली मैडम जी आप तो जानते ही हैं,   हम जैसे लोगों को यहां आने का मौका देने वाले लोगों को स्पॉन्सर कहा जाता है । यहां कोई भी विदेशी अपनी मर्जी से काम करने नहीं आ सकता । जो लोग यहां पर पहले से ही पक्के तौर पर काम कर रहे हैं वे ही अपने निजी कामों के लिए किसी एक व्यक्ति को स्पॉन्सर कर सकते हैं। और मैडम जी स्थानीय लोग एक से ज्यादा को। 

कई स्पॉन्सर तो ऐसे हैं जो काम के नाम पर जरूरतमंदों को बुलवा तो लेते हैं, लेकिन काम नहीं देते ।  और वर्क वीजा लगवाने की भी मोटी रकम मांगते हैं ।  

कोई भी कामकाजी चाहे पुरुष हो या महिला काम करने के बाद कमा कर ही तो उस रकम को लौटा सकते हैं । और जब काम नहीं मिलता है तो हम जैसे लोग उस रकम को नहीं लौटा पाते हैं तो हमारा पासपोर्ट और वीजा उनके द्वारा अपने पास धरोहर के रूप में रख लिया जाता है । 

साहब जी इस तरह हमारी मुसीबत और ज्यादा बढ़ जाती है।   अब पासपोर्ट और वीजा हमारे पास नहीं होने के कारण हम यहां से वापस अपने देश को लौट भी नहीं सकते, इसलिए हमारे पास बस एक ही रास्ता बचता है वह यह कि हम उनकी  मुंह मांगी रकम कैसे भी काम करके चुकाए और अपना पासपोर्ट और वीजा छुड़ा ले ।
         
  यहां कोई व्यक्ति चाहे वर्क वीजा से आया हो या डिपेंडेंट  वीजा से।  आए हुए सभी लोगों का एक आईडी - कार्ड और एक बीमा - कार्ड भी बनाते है । और वही कार्ड हमारी पहचान का आधार और प्रमाणिक दस्तावेज होता है । कभी अपनी पहचान बतानी हो तो हम वही दिखाते हैं  । इसलिए यहां रहने के दौरान बिना पासपोर्ट और वीजा के कोई मुश्किल नहीं होती । वह हमारे पास रहे या दूसरे के पास इससे कोई फर्क नहीं पड़ता ।
        
  सचिन और सुहाना के लिए यह जानकारी कोई नई नहीं थी ।  वह इस तरह की बातों से अच्छी तरह वाकिफ थे उन्होंने ऐसे लोगों की मजबूरियों के कई किस्से इस देश में पहले भी कई बार सुन रखे थे । लेकिन अपने घर में, अपने सामने किसी भुक्तभोगी के मुंह से अवश्य पहली बार सुन रहे थे।
 
 तभी अचानक से  सुहाना को कुछ ख्याल आया,  उसने मारिया से अपना परिचय -पत्र एक बार फिर से दिखाने  को कहा ।

      तो एक बार फिर मारिया अपना परिचय- पत्र सुहाना के सामने रख देती है । सुहाना ने उसे ध्यान से देखा तो उसके मन में कुछ संदेह हुआ,  वह सही है या नहीं ।  यह जानने के लिए उसने मारिया से कहा 'यह तो किसी आईडी- कार्ड की फोटोकॉपी लगती है ! क्या ऐसा ही है ! या यह ओरिजिनल ही है !'

      सुहाना के पूछते ही एक पल को तो मारिया के चेहरे पर हवाइयां सी उड़ने लगी । फिर अगले ही पल वह सुहाना के कदमों में आ पड़ी । रोते हुए बताने लगी,  हां मैडम, आपने सही पहचाना,   यह ओरिजिनल नहीं है, फोटोकॉपी ही है । दरअसल एक बार जब मैं अपने स्पॉन्सर को लगातार चार महीने तक अपनी किस्त नहीं दे पाई, तब उसने मुझे धमकी दी कि वह पुलिस को यह सूचना देने जा रहा है कि वह मेरी स्पॉन्सरशिप से हट रहा है । अब मैं उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं रही । 

         मैडम जी अगर वह ऐसा करता तो मुझे तुरंत देश छोड़कर जाना पड़ता । और मैं वापस जाना नहीं चाहती थी । अगर मजबूरी में मुझे जाना भी होता तो भी मैं जा नहीं सकती थी । क्योंकि मेरे पास ना तो अपना पासपोर्ट था और ना वीजा । और वह तो यह बात कबूल करता नहीं कि यह दोनों उसके पास हैं । मुझे जेल हो जाती ।

          मैडम जी मैं उसके सामने बहुत रोई -गिड़गिड़ाई उसे अपनी मजबूरी बताई कि मेरे पास एक भी रुपया नहीं है । मैं जिसके घर काम करती हूं,  वह मुझसे काम तो जम कर लेते हैं । पर खाने को खाना तो दूर की बात,  ढंग से नाश्ता भी नहीं देते । मजबूरी में मुझे बाजार से खाना खरीद कर पेट भरना पड़ता है । तो सारी कमाई उसी में खत्म हो जाती है।

       तब उसने मुझ पर दया करते हुए मुझे सलाह दी कि अपना ओरिजिनल आईडी - कार्ड भी मेरे पास गिरवी रखो । अब मैडम जी मरता क्या न करता, मैंने वही किया । तो तब से मेरा ओरिजिनल आईडी - कार्ड उसी के पास है । उसी ने मुझे यह फोटो कॉपी तैयार करके दी है ।

 'आमतौर पर तो घरेलू नौकरानी से कोई नहीं पूछता,  फिर मैं तो पूरे पूरे दिन किसी एक घर में ही रहती हूं । इसलिए मुझे यह कहीं दिखाना भी नहीं पड़ता । कहीं भी आने-जाने के लिए मेरे पास बस का पास है तो एक तरह से वही आईडी का काम कर रहा है ।'
    
   मारिया की आपबीती ने दंपत्ति को द्रवित कर दिया । अपने देश के लोगों की दुर्दशा पर दोनों को रोना आ गया । दोनों मन ही मन खूब रोए भी, ऐसे लोगों की हर संभव मदद करने का इरादा भी बनाया,  पर चाह कर भी मारिया को मेड के रूप में काम पर रखने का फैसला नहीं कर सके ।

 दंपति ने मारिया को समझाया,  देखो हमें तुम्हारे साथ पूरी सहानुभूति है । तुम हमारे बच्चे के लिए एक अच्छी मेड भी हो सकती हो । यह हम पहली मुलाकात में ही जान चुके हैं । पर फिर भी हम तुम्हें काम पर रखने का जोखिम नहीं ले सकते। 

क्योंकि तुम्हारे पास एक भी ओरिजिनल डॉक्यूमेंट नहीं है । जैसे ही हम स्थानीय पुलिस को तुम्हें काम पर रखने की सूचना देंगे । तो तुम्हारा वेरिफकेशन होगा। वह तुम्हें नकली कागजात पेश करने के अपराध में गिरफ्तार कर लेगी । 
और अगर हम तुम्हें गुपचुप रूप से भी रख लें,  तो तुम्हारा अपने स्पॉन्सर से मिलना - जुलना बंद हो जाएगा । जब तुम उससे नहीं मिलोगी तब वह तुम्हारे खिलाफ शिकायत दर्ज करवाएगा । हमारे पास इतनी रकम तो है नहीं, कि उतनी रकम देकर तुम्हें उस से छुड़वा ले ।  

ऐसे में तुम तो उसी दिन यहां से चलती बनोगी । तब हमारे बच्चे का क्या होगा । हम दोनों में से किसी एक को नौकरी से छुट्टी लेनी पड़ेगी और अच्छे खासे बैठे-बिठाए पुलिस के झंझट में पड़ जाएंगे सो अलग ।

 और हां,  हम तुम्हारी सभी बातें सच क्यों मान लें? एक तो तुम ने आते ही हमसे अपनी सच्चाई छुपाने की कोशिश की, यह तो हम पहचान गए वरना 'तुम तो हमें अंधेरे में रखने का इरादा रखती थी ।'
    
   मारिया ने अब सुहाना की तरफ बढ़ी आस भरी निगाह से निहारा । और अपने शरीर पर क्रॉस का निशान बनाते हुए बोली, ' मैडम,  गॉड प्रॉमिस,  मैं झूठ नहीं बोलती । जैसा आप सोच रहे हैं।  मैं ऐसी- वैसी औरत नहीं हूं सच्ची। हार्ड वर्कर हूं । ईमानदार हूं । बहुत जरूरतमंद हूं ।



    
  सुहाना ने उसके दर्द को समझते हुए पीठ थपथपा कर उठाया।  उसकी हिम्मत बंधाई और बोली देखो मारिया हमें तुम्हारे साथ पूरी- पूरी सहानुभूति है । हम यह नहीं कह रहे कि तुमने जो कुछ हमें बताया वह झूठ ही है, पर हम अपनी सहूलियत के लिए मेड खोज रहे हैं,  एक और उलझन खड़ी करने के लिए नहीं । हम भी इस देश के कायदे - कानून से बंधे हैं ।

 मेरी सलाह है कि तुम कोई काम ढूंढने की जगह किसी तरह अपने देश वापस लोटो । हां,  मैं तुम्हें एक भरोसा दे सकती हूं । यदि तुम इंडिया लौटने के बाद भी यहां आना चाहोगी तो हम तुम्हें अपनी खुद की स्पॉन्सरशिप पर बुला सकते हैं । हमें एक व्यक्ति को स्पॉन्सर करने का हक है ही । 

तुम्हारे वीजा की फीस का और आने का खर्चा हम उठाएंगे, अपने घर में रखेंगे, जो भी हम से बन पड़ेगा वह हम करेंगे। सरकारी रेट पर वेतन, और सुविधाएं देंगे । क्योंकि हम जानते हैं कि तुम हमारे बच्चे के लिए अच्छी मेड साबित होओगी । और हमें छोड़कर कहीं और जाना पसंद नहीं करोगी ।
   
   मारिया विदा लेने को उठी,  फिर जाते-जाते रुक कर बोली मैडम जी ! आप जो कह रही हैं ।वह सही है । पर  ऐसा हो नहीं सकता । क्योंकि       हमारे  घर वालों के पास इतना पैसा होता , तो हम यहां आते ही क्यों  । 

घर के लोग हमसे   सहायता पाने के लिए हमें भेजते हैं, जरूरत पड़ने पर हमारी सहायता नहीं कर सकते । वे नहीं जानते कि हम अपना पेट काटकर उन्हें रकम भेजते हैं । हमारे रिश्तेदार हमारे साथ सहानुभूति तो नहीं,  ईर्ष्या भले ही रखते हो । इसके लिए भी सारा कसूर तो हमारा ही है । हम वहां पहुंचकर उनके सामने जानबूझकर अमीरों जैसा व्यवहार जो करके दिखाते हैं।
   
         आप दोनों ने मेरी बात सुनी और अपने मन की बात कही उसके लिए आपका शुक्रिया,  आप मुझे बैरंग लौटा रहे हैं । फिर भी ऐसे हालात बने कि मैं सही सलामत हिंदुस्तान वापस लौट सकी, तो यकीनन अगली बार आपके पास ही लौटना चाहूंगी।

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