मिसिंग डॉगी - Short Story In Hindi - Storykunj
मैं छ: महीने के लिए प्रोजेक्ट के काम से कंपनी की तरफ से जर्मनी गया था । जर्मनी से वापस आने के बाद मैंने अपना ऑफिस ज्वाइन किया । और फिर से मेरी वही दिनचर्या शुरू हो गई ।
मॉर्निंग वॉक पर जाना मेरी बरसों पुरानी आदत रही है । वहां भी जाते-जाते अपना ही एक ग्रुप बन गया है ।
आज जब पहले दिन मैं मॉर्निंग वॉक पर गया तो वहां सब मिले, सिर्फ शर्मा जी को छोड़कर ।
शर्मा जी से मेरी काफी घनिष्ठता है और अक्सर शाम को जब मैं ऑफिस से जल्दी आ जाता हूं तो उनके घर ही चला जाता हूं ।
लेकिन आज पता चला कि वह तो पिछले 1 सप्ताह से मॉर्निंग वॉक के लिए नहीं आ रहे हैं ।
अरे, क्या हो गया,
मैंने सोचा और फैसला किया कि आज शाम को उनके घर जाकर पता किया जाए कि सब ठीक तो है ।
शाम को जब मैं उनके घर पहुंचा तो मुझे देख कर शर्मा जी बहुत प्रसन्न हो उठे । अंदर पहुंचा तो देखा सभी लोग थे । शर्मा जी, उनकी पत्नी, उनके तीनों बच्चे । बस उनकी बूढ़ी मां नहीं दिख रही थी ।
मैंने पूछा, शर्मा जी मैं कल ही जर्मनी से वापस आया हूं । पता चला कि आप कई दिनों से किसी को दिखे नहीं । सब ठीक तो है?
यह सुनते ही शर्मा जी की आंखों में आंसू आ गए । बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभालते हुए बोले ! क्या बताऊं हमारा प्यारा बिस्किट कहीं खो गया है ।
आपका बिस्किट मतलब मैं समझा नहीं ।
हां हमारा बिस्किट यानी कि हमारा डॉगी । हम सब उसे प्यार से बिस्किट कहकर ही पुकारते हैं । यह कहते हुए उन्होंने मेरे सामने मिसिंग बिस्किट (डॉगी) का एक पोस्टर रख दिया जिसमें डॉगी की फोटो के साथ साथ उसका पूरा विवरण लिखा हुआ था ।
साथ ही लिखा था कि ढूंढने वाले को ₹1000 का इनाम ।
खैर थोड़ी देर शर्मा जी को दिलासा देने के बाद मैंने पूछा ! और आपकी मां कहां है? वे दिखाई नहीं दे रही ।
कुछ नहीं यार वह बहुत परेशान करती थी।
उनकी वजह से दिनचर्या बिगड़ गई थी। इसलिए उनको दो महीने पहले मैं वृद्धा आश्रम छोड़ आया।
भौचक्का सा मैं उनको देखता रह गया । क्या यही हमारे संस्कार हैं। मां से बढ़कर एक डॉगी प्यारा है। मेरे सामने कभी उनकी बूढ़ी मां तो कभी डॉगी का चेहरा आ रहा था ।
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