दिल्ली पुलिस, दिल की पुलिस - Real Story In Hindi - Storykunj
गुड़गांव निवासी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करने वाली युवती सुनसान जगह पर परेशान खड़ी थी ।
उनकी कार खराब हो गई थी । रात के 9:00 बज गए थे । और मार्केट बंद थी ।
यह एक सच्ची कहानी है । दरअसल देश में अनलॉक के दौरान शाम को बाजार बंद हो जाते हैं ।
थाने में तैनात पुलिसकर्मी इलाके में गश्त कर रहे थे । रात करीब 9:00 बजे कमला मार्केट में तैनात सिपाही महेश रामलीला मैदान के पास गश्त करते हुए पहुंचे । पूरा इलाका सुनसान था ।
तभी सिपाही महेश ने गेट नंबर 5 के पास एक युवती को परेशान हालत में देखा । वह युवती के पास पहुंचे और युवती से परेशानी की वजह और सुनसान जगह पर खड़े होने के बारे में पूछा ।
युवती ने अपना नाम और पता बताया और कहा कि वह गुड़गांव में रहती है और मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करती है । शाम को दिल्ली किसी से मिलने आई थी । वापस जाने के दौरान उनकी कार खराब हो गई । बहुत देर तक लोगों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की ।
इस पर सिपाही महेश ने युवती को मदद का भरोसा दिया । और खुद कार की जांच की पता चला की बैटरी में खराबी है । वह बैटरी को निकालकर दरियागंज ले गए । लेकिन तब तक सभी दुकानें बंद हो चुकी थी । वह जामा मस्जिद के मोटर मार्केट भी गए लेकिन वहां भी दुकानों के शटर गिर चुके थे । उसके बाद उन्होंने एक कार मैकेनिक को फोन किया । लेकिन पता चला कि वह अलीगढ़ गया हुआ है । उस मकैनिक से नंबर लेकर दूसरे मकैनिक से संपर्क किया । लेकिन दूर होने की वजह से उस मैकेनिक ने आने से मना कर दिया ।
सिपाही महेश ने हिम्मत नहीं हारी । और वह बैटरी लेकर उस मैकेनिक के घर पहुंच गए । उन्होंने मैकेनिक की मदद से दूसरी बैटरी ली और मैकेनिक को अपनी बाइक पर बैठाकर रामलीला मैदान के नजदीक खराब हालत मैं खड़ी कार के पास पहुंच गए । दूसरी बैटरी कार में लगाते ही कार स्टार्ट हो गई ।
करीब 4 घंटे की मशक्कत के बाद युवती ने राहत की सांस ली । और वह सकुशल अपनी कार लेकर घर लौट पाई ।
डी.सी.पी. साहब ने सिपाही की बहुत प्रशंसा की और उन्हें पुरस्कृत करने का फैसला किया ।
सच में दिल्ली पुलिस, दिल की पुलिस है ।
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