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सरप्राइज़ - Family Story In Hindi - Storykunj



 विजय पूरे ढाई महीने बाद अपने घर उत्तराखंड लौट रहा था । अब वह अपने पैरों पर खड़ा हो गया था और चार पैसे भी कमाने लगा था। नोएडा की एक मल्टीनेशनल कंपनी में विजय की नौकरी लग गई थी। 

उसके दिल में उत्साह था और कल के लिए सुनहरे सपने थे। विजय के दो सपने थे। उसका एक सपना पूरा हो चुका था और अब दूसरे का समय आ गया था।

 विजय सोच रहा था कि अब जूही के साथ उसकी शादी होने में कोई खास रुकावट तो नहीं होनी चाहिए। दोनों के घर आमने-सामने थे। दोनों परिवारों के सजातीय होने के कारण और भी अधिक घनिष्ठता थी । दोनों परिवार वक्त बेवक्त एक दूसरे के काम भी खूब आते थे जहां तक उसे याद है दोनों परिवारों में कभी कोई मनमुटाव नहीं देखा था। 

 जूही उसे हमेशा से पसंद थी और उसका ख्याल था कि जूही भी उसे पसंद करती है । विजय चाहता था कि पहले कुछ काम धाम करें फिर 
उससे अपने दिल की बात कहें। सजातीय होने तथा बरसों से एक दूसरे से परिचित होने के कारण दोनों परिवारों को इसमें आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए थी।

 जूही और विजय के बीच प्यार था भी, तो उसका ठिकाना दिल ही था । कभी जुबान तक नहीं आया। इसे दोनों की नादानी कहे या बेवकूफी या फिर दोनों कहा जा सकता है।

 विजय का इरादा था कि पहले वह जूही से उसके दिल की पूछेगा। सकारात्मक जवाब मिलने के बाद ही यह बात माता-पिता तक पहुंचाएगा। आगे उनकी मर्जी जैसा वे उचित समझें। और उसकी अपनी किस्मत।

 वह घर लौट चुका था । और कई बार जूही से मिल भी चुका था किंतु जूही को देखते ही ना जाने क्या हो जाता था कुछ ऐसे जैसे पहली बार मुलाकात हो रही है। अभी उसके दिल की बातें दिल में ही थी। पूछने की हिम्मत नहीं हो रही थी।

 वह उसे रोकता, पास भी बुलाता,  प्यार का इजहार करने को । लेकिन हर बार असल की जगह दूसरी बात करने लगता।

 जूही उससे पूछती क्या बात है? कहो ना? 
        
इसी तरह कई दिन बीत गए।  आखिर विजय ने सोचा क्यों ना अपने दिल की बात लिखकर उस तक पहुंचाई जाए। बस फिर क्या था विजय बैठ गया अपना प्रेम पत्र लिखने ।

 ओह..... प्रेम पत्र लिखना भी कोई आसान काम नहीं है । यह माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने जैसा ही मुश्किल काम है। क्या लिखूं? कैसे लिखूं? कहां से शुरू करूं? कुछ समझ नहीं आ रहा यह सबसे ज्यादा गंभीर सवाल होता है । 

जरा सी चूक सारे किए कराए पर पानी फेर सकती है।
 घंटों तक कलम पकड़े रहने और कागज के गोले बना बना कर फेंकने के सिवाय कुछ काम की बात नहीं लिखी जा सकी ।

 लेकिन कुछ लिखना तो था ही । आखिर में विजय ने एक गाना लिखा............ 

 मेरे दिल में आज क्या है? तू कहे तो मैं बता दूं.... 
 तेरी जुल्फें फिर सजा दूं, तेरी मांग में सजा दूं....... 

 कोई ढूंढने भी आए, तो हमें ना ढूंढ पाए......... 

 तू मुझे कहीं छुपा दे, मैं तुझे कहीं छुपा दूं......... 

 पत्र लिख चुकने के बाद उसने पुकारा जूही ! सुनना जरा !

 जूही पास आकर बोली ! हां कहो क्या बात है? 
 कुछ नहीं ! बस यूं ही ! और हां जूही तुम्हें यह गाना पसंद है! कौन सा गाना? 

 यह वाला! देखो!! मुश्किल से विजय का कांपता हुआ हाथ आगे बढ़ा । जूही ने झपट्टा मारा और खोलकर पड़ने लगी ।
 
विजय का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा । वह दूसरी तरफ देखने लगा ।

 वाह ! कितना प्यारा लिखे हो ! ठहरो ! मैं मम्मी को दिखा कर आती हूं!

 जूही किलकारी भरती हुई बोली ।

 अरे नहीं ! ऐसा गजब मत करना ! विजय कागज छीनना चाहता था ।
 जूही, क्या करती हो ठहरो ! उसे वापस करो । 

तब तक जूही चतुर हिरणी सी वहां से गायब हो चुकी थी ।

 घबराहट में विजय पसीना - पसीना हो गया । दिल की धड़कने तेज हो गई । हे भगवान ! अब क्या होगा ? मेरी मति मारी गई थी जो........
 
जूही के घर वाले क्या सोचेंगे । मेरे माता-पिता की क्या दशा होगी जब उन्हें उसकी
 हरकत के बारे में पता चलेगा ।
 
थोड़ी ही देर में जूही की मां उस की चौखट पर थी । उसका दिल  लरज गया,  जब उन्होंने उसे देखा और बोली-

 विजय बेटा ! बड़े अच्छे मौके पर आए हो ! काम ज्यादा है और कोई मददगार नहीं ! थोड़ी सी मदद करोगे मेरी !

 कैसा काम आंटी ! कहिए ना ! जरूर करूंगा !विजय कहां डांट पड़ने की उम्मीद कर रहा था और कहां ऐसा सौहार्द भरा व्यवहार सोचा ना था उसे ताज्जुब हो रहा था? 
 
तुम्हें नहीं मालूम? आंटी हैरत से भर गई ।

क्या नहीं मालूम !नहीं आंटी! कसम से मुझे किसी ने कुछ भी नहीं बताया । आंटी बोली अच्छा ! 
मैं अभी तेरी मम्मी की खबर लेती हूं इतनी बड़ी खबर छुपा के रखी है । बेटा ! दरअसल जूही की शादी तय हो गई है ।

 क्या........? वह जैसे आसमान से गिरा । 
उसका दिमाग घूमने लगा । आंटी की बातों में उसे अब कोई दिलचस्पी नहीं रह गई ।
........ सगाई है
 क्या? 

 हां परसों सगाई होनी है

 ठहर ! पहले मैं तेरी मम्मी की खबर ले लूं कहती हुई आंटी अंदर चली गई ।

 वह अभी ठीक से बैठ भी नहीं पाया था कि जूही का भाई नवीन कार्डबोर्ड का कार्टन लिए वहां आ गया। 

 और कहने लगा भैया यह दीदी की शादी के कार्ड हैं शादी में समय थोड़ा बचा है।  और अभी कार्ड बांटने का काफी काम रहता है आप पता लिखने में मेरी थोड़ी मदद करोगे ? 

 नहीं ! आज नहीं ! आज मेरा जी अच्छा नहीं है ।कल कर दूंगा । 
विजय को उस पर बड़ा गुस्सा आया । वह यह काम अपने घर पर करता तो......
 
 वह अपनी प्रेमिका की शादी के कार्ड खुद कैसे तैयार कर सकता है? 

 उसे अपनी मां और आंटी के बीच बहस होने की उम्मीद थी लेकिन वे दोनों तो किसी बात पर ठहाका लगा रही थी ।

 नवीन लिफाफो पर  लिस्ट में से देखकर नाम पता लिख रहा था ।

 विजय ने उदासी और  अनीच्छा से एक लिफाफा उठाया । लिफाफे पे उसका अपना नाम लिखा था........ 

 विजय संग जूही

 अरे यह क्या? उसके होने वाले पति का नाम भी विजय है

 उसने कार्ड बाहर निकाला और वर का नाम पता देखा.... लिखा था ।

 वर
 आयुष्मान विजय
 पोत्र - स्वर्गीय मनोहर लाल
 सुपुत्र- राजेंद्र प्रसाद
 निवास- हरी नगर



  

ओह ! तो जूही का दूल्हा वह स्वयं है । लेकिन उसे किसी ने बताया क्यों नहीं? 

 क्यों रे नवीन ! तेरा होने वाला जीजा कहां रहता है?  उसने पूछा? 

 यही ! वह तो मेरे सामने ऐसी रोनी सूरत बनाए बैठा है जैसे उसका खजाना लूट गया हो । उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया ।

 मुझे किसी ने बताया क्यों नहीं?  उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसके दिल की लगी इस तरह पूरी होने जा रही है ।

 नवीन ने बताया - जीजा जी किसी को भरोसा ही नहीं था कि आप शादी के लिए हां करेंगे इसलिए आपसे छिपाया गया । फिर आप दीदी और हम लोगों को भी अच्छे से जानते हैं इसलिए । फिर आपको 'सरप्राइज' भी तो देना था ।
 
 ओह ! तो यह बात है । इसीलिए मम्मी रोज- रोज फोन करती थी कि मैं समय पर घर लौट आऊ ।

 और नहीं तो क्या? नवीन हंस पड़ा ।
       
 अब विजय की खुशी का ठिकाना नहीं था । उसका प्यार उसे सरप्राइज के रूप में मिलेगा यह उसने सोचा ना था।  'सरप्राइस गिफ्ट' 'सरप्राइज़ पार्टी' तो सुनी थी 'सरप्राइज़ मैरिज' उसकी जानकारी का पहला वाकिया था ।

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