Ads Top

शुभ - मुहूर्त - Short post In Hindi - Storykunj


हिन्दू धर्म में मुहूर्त एक समय मापन इकाई है। वर्तमान हिन्दी भाषा में इस शब्द को किसी कार्य को आरम्भ करने की शुभ घड़ी को कहा जाने लगा है ।  

वैदिक काल से लेकर आज तक किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा रही है।  शुभ लग्न और मुहूर्त को देखकर मंगल कार्यों की शुरुआत की जाती है। शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है, ऐसा ऋषि-मुनियों का वचन है। 

श्री राम का विवाह और राज्याभिषेक, दोनों शुभ मुहूर्त देख कर किए गए थे।  फिर भी न वैवाहिक जीवन सफल हुआ, न ही राज्याभिषेक। 

और जब मुनि वशिष्ठ से इसका उत्तर मांगा गया, तो उन्होंने साफ कह दिया........ 

"सुनहु भरत भावी प्रबल,
बिलखि कहेहूं मुनिनाथ।
लाभ हानि, जीवन मरण,
यश अपयश विधि हाथ।।"

अर्थात - जो विधि ने पहले से निर्धारित किया है, वही होकर रहेगा। 

न राम के जीवन को बदला जा सका, न कृष्ण के।  

न ही महादेव शिवजी सती की मृत्यु को टाल सके, जबकि महामृत्युंजय मंत्र उन्हीं का आवाहन करता है। 

न गुरु अर्जुन देव जी, और न ही गुरु तेग बहादुर साहब जी, और दश्मेश पिता गुरू गोबिन्द सिंह जी, अपने साथ होने वाले विधि के विधान को टाल सके, जबकि आप सब समर्थ थे। 

रामकृष्ण परमहंस भी अपने कैंसर को न टाल सके। 

न रावण अपने जीवन को बदल पाया, न ही कंस, जबकि दोनों के पास समस्त शक्तियाँ थी।  


मानव अपने जन्म के साथ ही जीवन, मरण, यश, अपयश, लाभ, हानि, स्वास्थ्य, बीमारी, देह, रंग, परिवार, समाज, देश-स्थान सब पहले से ही निर्धारित करके आता है। 

मुहूर्त न जन्म लेने का है, न ही मृत्यु का। फिर शेष अर्थहीन है। वही होता है जो विधि ने पहले से निर्धारित कर रखा है।

इसलिए सरल रहें, सहज रहें, अच्छा सोचें, 
 मन, वचन और कर्म से सद्कर्म में लीन रहें
और सदैव प्रभुमय रहें। 

अगर आपको हमारी Post पसंद आई हो तो अपने Friends  को  Share  कीजिए । और Comment में बताएं  की आपको कैसी लगी यह Post

1 comment:

Powered by Blogger.