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अनूठा रिश्ता - Inspirational Story In Hindi - Storykunj


डैड !  मैं इंडिया जा रहा हूं......
 शिवम डिनर करते हुए डैड से बोला ।

 इंडिया जा रहे हो ! लेकिन क्यों?????  
डैड हैरानी से पूछते हैं ।

 कॉलेज के दोस्तों के साथ घूमने के लिए जा रहा हूं। 
शिवम ने जवाब दिया ।
 
 यह अचानक इंडिया जाने कि तुम्हें क्या सूझी ? तुम अच्छी तरह जानते हो यहां हमारे नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने वाला है। और अगले महीने तुम्हारी रिंग सेरेमनी भी तो है ।  

 डैड ! आज रात की फ्लाइट है...... शिवम डैड की बात को अनसुनी करते हुए बोला। 

अंजलि ! समझाओ अपने बेटे को.....
 प्रोजेक्ट के काम को छोड़ कर कैसे जा सकता है वह..... डैड गुस्से से गुरराय । 

 ओहो डैड !
मैं कौन सा इंडिया में बसने के लिए जा रहा हूं । मुझे निकलने के लिए लेट हो रहा है मेरी आज की फ्लाइट है...ओके बाय 

 लेकिन........
 डैड कुछ कहते इससे पहले ही शिवम डाइनिंग टेबल से उठकर वहां से चला गया ।

 ब्रीफकेस में अपने कपड़ों के साथ अपनी कुछ धुंधली यादें लिए शिवम इंडिया पहुंच गया । यहां के एयरपोर्ट से बाहर आकर वह चारों तरफ नजर घुमाता है ।

ओर एक टैक्सी रोक कर ड्राइवर से चलने के लिए पूछता है।
 ड्राइवर के हामी भरने पर वह डैड की एक पुरानी पॉकेट डायरी ( जिसे वह साथ में लाया था) में लिखे हुए एड्रेस पर चलने को कहता है ।

 टैक्सी में सफर के दौरान शिवम मन ही मन कहता है 
   उफ!!!!!!!!  कितनी भीड़ है यहां । डैड ठीक ही कहते हैं.... इंडिया रहने लायक जगह नहीं है.... रास्ता कितना खराब है और यहां गर्मी भी कितनी है । टैक्सी की खिड़की से बाहर की तरफ देखते हुए शिवम अनगिनत विचारों में खोया हुआ था ।

" आप अपने गंतव्य पर पहुंच गए बाबू जी" ड्राइवर बोला तो आवाज सुनकर शिवम की विचारों की तंद्रा टूटी ।

 टैक्सी से बाहर निकल कर जब देखा तो सामने एक बहुत ही पुरानी जर्जर हो चुकी हवेली है। जगह-जगह हवेली की दीवारों में दरारें पड़ी हुई हैं ।

 टैक्सी का किराया चुकता कर शिवम अपने कदम आगे बढ़ाता है ।

 शिवम ने हवेली का दरवाजा खुलवाया तो सामने एक उम्र दराज महिला खड़ी थी यही कोई 60--62 वर्ष की होगी

 हां कहो ! किस से मिलना है? पूरे अधिकार से वह महिला बोली ।
 शिवम महिला को प्रणाम करने के बाद पूछता है....
 गिरधारी लाल जी हैं?  मैं उनका पोता हूं ।

वह सामने व्हील चेयर पर बैठे हैं उसने इशारा करके बताया ।

 शिवम व्हीलचेयर के करीब आया .....
 प्रणाम दादू !

 तुम कौन हो?  बुजुर्ग ने पूछा? 
 
दादू मैं आपका पोता हूं शिवम !

 एक पल को उन्हें यकीन नहीं आया फिर खुशी से चिल्लाने लगे.... शिवम ! मेरा पोता ! मेरा सोनू ! तू यहां..... मेरे पास...... पोते को देखकर बुजुर्ग की आंखों में  ढेर सारी खुशी की चमक थी ।
 ए ! अनीता.... सुनती हो ! देखो मेरा पोता आया है...... मेरा पोता आया है ।

 हां- हां मैंने देखा अभी।  विमला ताई अक्सर बातों-बातों में बताया करती थी कि बरसों पहले उनका बेटा रमेश विदेश जाकर बस गया । विमला ताई अपने बेटे-पोते को बहुत याद करती थी।  

 शिवम ने दादू के पास बैठकर खूब सारी बातें की, साथ में खाना खाया और अपने रूम में सोने के लिए चला गया। 

अगली सुबह जब शिवम की आंख खुली तो बाहर से कुछ आवाजें आ रही थी । वह अपने रूम से बाहर आया तो देखा कि दादू कुछ गुस्से में बोल रहे थे ।

 अरे ! तू चली क्यों नहीं जाती.... मुझे मेरे हाल पे छोड़कर.... क्यों यहां पड़ी है ।

 हां- हां चली जाऊंगी... मुझे भी कोई शौक नहीं है तुम्हारी जली -कटी सुनने का... महिला बोली ।

 यह कौन है दादू? 
आपका इन से क्या रिश्ता है? शिवम पूछता है ।

 यह मेरी सब कुछ है बेटा ! मां, बहन, बेटी, (  दैहिक संबंधों को ना जोड़ा जाए ) पत्नी, प्रेमिका सब कुछ।

 बरसों पहले तेरी दादी को मंदिर में मिली थी । वहां यह साफ सफाई का काम करती थी । इसके पति की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई तो इसके पास रहने का घर भी नहीं रहा । तभी तेरी दादी इसे अपने साथ यहां अपने घर ले आई । उस दिन से आज तक यह इस घर की सेवा कर रही है । साल में दो जोड़ी कपड़े और दो वक्त का खाना बस यही लेती है।

जवाब सुनकर शिवम का अंतर्मन कहने लगा.....  "अगर कोई गैर अपना पूरा जीवन किसी की सेवा में न्योछावर कर सकता है तो फिर हम तो उनके अपने हैं। दादू का अपना परिवार होते हुए भी वो कितने अकेले है..... नहीं अब दादू अकेले नहीं रहेंगे। "
दादू का ख्याल रखने के लिए अब मैं यहीं रहूंगा अपने दादू के पास।" अब शिवम की विचारधारा पूरी तरह बदल चुकी थी । 






     शिवम समझ चुका था कि कुछ रिश्ते जन्म के होते हैं और कुछ रिश्ते धर्म के होते हैं। जन्म के कुछ रिश्ते अपने होकर भी पराए होते हैं और कुछ रिश्ते पराए होकर भी अपने होते हैं। ऐसा ही एक अनूठा रिश्ता है दादू और अनीता जी में । 

 सच में......
 भारत देश महान है ।
 सारे जहां से अच्छा भारत देश है मेरा ।

 अगले दिन शिवम के पास डैड का फोन आया...... हां ! कब आ रहे हो लौट कर? 

 डैड में वापस नहीं आ रहा.... उसने जवाब दिया ।

 क्या बकवास कर रहे हो ? डैड गुस्से से चिल्लाए। 

 हां डैड ! मैं वापस नहीं आ रहा।  मैं यहीं रहूंगा अपने दादू के पास। और मेरी मानो तो आप भी यहां पर आ जाओ । इस धरती पर कहीं सुख है तो वो यही है ।
 
लेकिन तुम्हारी यहां जरूरत है 
डेड गुस्से में बोले ।

 उससे भी ज्यादा मेरी यहां जरूरत है डेड !
 दादू को हम सब की जरूरत है ! और अब मैं यहीं रहूंगा दादू के पास।

 बेटे की बातें सुनकर रमेश के हाथों से फोन की पकड़ ढीली पड़ गई उनकी आंखों के कोर गीले हो चुके थे। 

बेटे के आगे रमेश की एक न चली उसे बीते दिन याद आने लगे बरसों पहले जब वह पत्नी अंजलि के साथ सात वर्षीय शिवम को लेकर इंडिया छोड़कर विदेश आ रहा था तब उसके माँ-पिता भी उससे रुकने के लिए कहते रह गए।

 पास में खड़ी उनकी पत्नी पल्लू से अपनी सिसकी छुपाते हुए बोली.. चलते हैं ना.. अपने देश...... अपने घर......।

 हां ठीक है ! चलो तैयारी कर लो...... चलने की ।  रमेश भारी मन से बोले ।

 डेड के फैसले से शिवम बहुत खुश था 

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